असहयोग आंदोलन कब स्टार्ट हुआ था

असहयोग आंदोलन क्या है?

असहयोग आंदोलन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली आंदोलनों में से एक है। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम काल में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ अप्रत्याशित राष्ट्रीय आंदोलनों में से एक है जिसने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जुटने के लिए प्रेरित किया। यह आंदोलन 1920 ईसवी में आचार्य विनोबा भावे द्वारा प्रारंभ किया गया।

आंदोलन का मकसद

असहयोग आंदोलन का मुख्य मकसद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी भाषा के प्रचार के खिलाफ आवाज उठाना था। यह आंदोलन विदेशी आंग्रेजी भाषा के खिलाफ भाषा स्वाधीनता और राष्ट्रीयता के मुद्दे को उजागर करने का एक प्रमुख माध्यम था।

असहयोग आंदोलन की प्रारंभिक घटनाएँ

असहयोग आंदोलन की प्रारंभिक घटना 6 अप्रैल, 1920 को हुई थी, जब आचार्य विनोबा भावे ने बॉम्बे की विलास थिएटर में एक भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने अंग्रेजी भाषा के उपयोग के खिलाफ असहयोग की घोषणा की। इसके बाद असहयोग आंदोलन भारत के विभिन्न भागों में फैल गया।

असहयोग आंदोलन के प्रमुख नेता

असहयोग आंदोलन के नेतृत्व में आचार्य विनोबा भावे, मोहनदास करमचंद गांधी, बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, रवींद्रनाथ टैगोर, और भगत सिंह जैसे प्रमुख नेता थे। उन्होंने इस आंदोलन को अपने देशीकरण के लिए उठाया और भारतीय भाषाओं के प्रचार के लिए संघर्ष किया।

असहयोग आंदोलन के दौरान की घटनाएँ

असहयोग आंदोलन के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। एकमात्र हिंदी के संगठन, हिंदी सहित्य सभा, ने अंग्रेजी भाषा के प्रचार के खिलाफ एक महान आंदोलन चलाया। इसके अलावा, असहयोग आंदोलन के दौरान लोग अंग्रेजी वस्त्र पहनना, अंग्रेजी शिक्षा संस्थानों का बहिष्कार करना, और अंग्रेजी भाषा के प्रयोग से बचने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते थे।

असहयोग आंदोलन के प्रमुख लक्षण

असहयोग आंदोलन के कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. स्वदेशी: यह आंदोलन स्वदेशी आंदोलन के साथ जुड़ा हुआ था। इसका मकसद था भारतीय वस्त्रों, उत्पादों, और सेवाओं का प्रयोग करना और विदेशी वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार करना।
  2. सामाजिक एकता: असहयोग आंदोलन ने विभिन्न समाजिक वर्गों को एकता के आधार पर जोड़ा। यह आंदोलन न केवल राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देने के लिए था, बल्कि समाज में सामान्य जनता के साथ अंग्रेजी भाषा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी था।
  3. निष्ठा के साथीपन: यह आंदोलन नेताओं के नेतृत्व में एक ऐसी भावना विकसित की जो अंग्रेजी भाषा के प्रयोग को निष्ठा के साथ बहिष्कार करती हो। इस आंदोलन ने लोगों में एक गर्व की भावना पैदा की और उन्हें अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति आत्मविश्वास दिया।

आंदोलन के प्रभाव

असहयोग आंदोलन के प्रभाव सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक स्तरों पर दिखाई दिए। इस आंदोलन के कारण लोगों की जागरूकता और राष्ट्रीयता की भावना में वृद्धि हुई। अंग्रेजी भाषा के प्रयोग को लेकर सामाजिक असहमति और अभिवृद्धि हुई, जिसने देशभक्ति और स्वाभिमान को मजबूती से बढ़ाया।

आंदोलन की सफलता और संकट

असहयोग आंदोलन की सफलता दोहराई गई। असहयोग आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया और अंग्रेजी भाषा को देशभक्त भारतीयों के लिए अयोग्य घोषित किया।

लेकिन इस आंदोलन के दौरान कई संकटों का सामना करना पड़ा। सरकार ने इसे दबाने के लिए कठोर कार्रवाई की और आंदोलन के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया। विदेशी नीतियों और दुर्व्यवहारों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोगों को नाराजगी और जुझारू माहौल का सामना करना पड़ा।

निष्कर्ष

असहयोग आंदोलन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण चरण रहा है। इस आंदोलन ने अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाई और भारतीय भाषाओं को महत्वपूर्णता दी। यह आंदोलन न सिर्फ भाषा स्वाधीनता के मुद्दे पर उजागर किया, बल्कि यह देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना को भी मजबूत किया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. असहयोग आंदोलन क्या है? असहयोग आंदोलन एक आन्दोलन था जिसका मकसद अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के खिलाफ लड़ना और भारतीय भाषाओं को प्रचारित करना था।

2. असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ था? असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1905 में लोर्ड कर्जन द्वारा वेदों के अंग्रेजी अनुवाद के प्रकाशन के बाद हुई।

3. असहयोग आंदोलन किसने शुरू किया? असहयोग आंदोलन की शुरुआत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, और औरंगजेब जेब ने की थी।

4. असहयोग आंदोलन की सफलता के बाद क्या हुआ? असहयोग आंदोलन की सफलता के बाद अंग्रेजी भाषा को देशभक्त भारतीयों के लिए अयोग्य घोषित किया गया और भारतीय भाषाओं को महत्वपूर्णता मिली।

5. असहयोग आंदोलन की प्रमुखता कौन थी? असहयोग आंदोलन की प्रमुखता बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, और औरंगजेब जेब ने थी।

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